Thursday 6 December 2012



तुम्हारी याद बनकर हर घड़ी तड़पाता  है 
ये वो वक़्त है जो रुकता ही नहीं 
ठहरता ही नहीं 
हर पल तुम्हारी याद बनकर 
सामने खड़ा हो जाता है 
-ममता भदौरिया 

उस दिन
तुम्हें रोक लेती
तो अच्छा था
ना तुम मिले
ना ये इंतजार
खत्म हुआ
-ममता भदौरिया