Tuesday 9 October 2012

करें अगर कोशिश तो....


-ममता भदौरिया 

करें अगर कोशिश तो

जीने की वजह भी मिल जाएगी
कोई साथ चले ना चले
उम्मीद रखिये,
होंसला रखिये,
मंजिल खुद-ब-खुद चलकर
आपके क़दमों तक आएगी
ये उमस, ये तपिश,
ये पतझर के मौसम भी गुज़र जायेंगे
फिर से बहारें आएँगी
फिर कलियाँ मुस्कुरायेंगी
फिर आम लदेगा बौरों से
फिर कोयल शोर मचाएगी
एक ठंडी हवा का झोंका कुछ
कानों में कह जायेगा
उमस, तपिश को यहीं छोड़
वो सावन में ले जयेगा
सावन की बौछारों में तुम
तन मन खूब भिगो लेना
उम्मीदों को साथ में रखकर
सपने नये संजो लेना.

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